कोरोना महामारी काल में भारत के 100 धन्नासेठों  की संपत्ति में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई

अरबपतियों के पास देश के कुल बजट से भी अधिक सपंत्ति है. इन एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास देश की कम आय वाली 70 प्रतिशत आबादी यानी 95.3 करोड़ लोगों की तुलना में चार गुने से अधिक संपत्ति है. एक अध्ययन में इस साल 20 जनवरी को इसका खुलासा किया गया था. परंतु ध्यान देने योग्य यह है कि अक्टूबर 2020 में जारी फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी काल में जब पूरी देश की आबादी एवं अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई है तो मोदी कृपा से देश के 100 धन्नासेठों की संपत्ति में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है. 8 अक्टूबर को फोब्र्स द्वारा जारी देश के 100 धनिकों की सूची से यह खुलासा हुआ है. इस कमाई वृद्धि में अकेले मोदी के चहेते मुकेश अंबानी की संपत्ति में वृद्धि का हिस्सा 73 प्रतिशत है, जिसने कोरोना काल में 37.3 बिलियन यानी 373 अरब रूपये अपनी कमाई में जोड़े हैं. दुनिया की बात की जाए तो 2,153 अरबपतियों के पास दुनिया की निम्न आय वाली 60 प्रतिशत आबादी यानी 4.6 अरब लोगों की संपत्ति से भी अधिक संपत्ति है. जरूरतमंदों के अधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन ऑक्सफैम ने विश्व आर्थिक मंच की 50वीं सालाना बैठक के मौके पर ही ‘टाइम टू केयर’ अध्ययन जारी किया है जिसमें चैकाने वाली जानकारी सामने आई है. अध्ययन में कहा गया कि विश्व में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ी है और पिछले दशक में अरबपतियों की संख्या दोगुनी हो गई है. अध्ययन में भारत के संदर्भ में कहा गया कि देश के 63 अरबपतियों के पास 2018-19 के 24,42,200 करोड़ रूपए के आम बजट की तुलना में अधिक संपत्ति है. ऑक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा, ‘असमानता को दूर करने की दृढ़ नीतियों के बिना अमीरी और गरीब की खाई को पाटा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमारी अक्षम अर्थव्यवस्थाएं आम लोगों की कीमत पर अरबपतियों और बड़ी कंपनियों की जेबें भर रही हैं. आश्चर्य नहीं, ऐसे भी सवाल उठने लगें कि क्या अरबपतियों को होना चाहिए.’ रिपोर्ट के अनुसार एक घरेलू महिला कामगार को किसी प्रौद्योगिकी कंपनी के शीर्ष सीईओ की एक साल की कमाई के बराबर कमाने में 22,777 साल लगेंगे. प्रौद्योगिकी कंपनी के सीईओ प्रति सेकेंड 106 रूपए की औसत कमाई करते हैं. ऐसे में एक घरेलू कामगार जितना एक साल में कमा पाती है, प्रौद्योगिकी कंपनी के सीईओ 1 मिनट में ही उससे अधिक कमाई कर लेते हैं. ऑक्सफैम ने कहा कि सरकारें अमीर वर्ग और कंपनियों से बेहद कम कर वसूल रही हैं, जिससे राजस्व संग्रह गिर रहा है.

अगर 1 प्रतिशत सर्वोत्तम धनिकों पर आधा फीसदी अतिरिक्त कर लगा दिया जाय तो अगले 10 वर्षों में 11 करोड़ 70 लाख नौकरियां पैदा होगी. 2011 से 2017 तक, 6-7 देशों की औसत मजदूरी वृद्धि 3 प्रतिशत है वहीं मुनाफे में हिस्सेदारों का लगभग 31 प्रतिशत बढ़ा है.