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दिल्ली के ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा 26 नवंबर के देशव्यापी हड़ताल की तैयारी में आयोजित राज्य स्तरीय कन्वेंशन में अपनी बात रखते ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव कॉमरेड संतोष रॉय

कन्वेंशन में उपस्थित ट्रेड यूनियन के साथियों ने मज़दूर-गरीब विरोधी सरकारों के खिलाफ, दिल्ली और देशभर में चल रहे तमाम आंदोलनों के साथ एकजुटता जाहिर की और 26 नवंबर की हड़ताल में तमाम आंदोलनरत साथियों को शामिल करने की बात कही। सभी मौजूद साथियों ने हड़ताल की तैयारी में पूरी ताकत से लगने का संकल्प लिया।

16 सितंबर को ऐक्टू ने मजदूर विरोधी श्रम कोड की प्रतियां जलाईं

‘मजदूर अधिकार बचाओ’ देशव्यापी अभियान (16-28 सितंबर)

मोदी-नीत केंद्र सरकार ने 44 महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को रद्द करके श्रमिकों के अधिकारों को छीनने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है. संसद का मानसून सत्र, जो एक लंबे अंतराल के बाद हो रहा है, उसे इस तरह सूत्रबद्ध किया गया है कि करोड़ों श्रमिकों और किसानों से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा ही ना हो. जिस तरह से व्यापक विरोध के बावजूद मोदी सरकार तमाम मजदूर व किसान विरोधी कानून बना रही है, वह साफ तौर पर सरकार के घोर मजदूर विरोधी और कॉरपोरेट परस्त रुख को दर्शाता है.

औद्योगिक दुर्घटना की जांच रिपोर्ट 

सरकार और मालिकों के आपराधिक गठजोड़ के चलते हो रहे हैं हादसे

देश की राजधानी दिल्ली एक तरफ तो मजदूरों को रोटी के सपने दिखा अपनी ओर बुलाती है, दूसरी तरफ फैक्ट्रियों और सीवरों में उनके लिए मौत का जाल बिछाए रखती है. आए दिन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की फैक्ट्रियों में आग लगने की ख़बरें आती रहती हैं, दिल्ली के नालों-सीवरों के अन्दर सफाई कर्मचारियों की मौत की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. दुर्घटनाओं का सिलसिला बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के लगातार जारी है. यह सिर्फ काम की अनदेखी नहीं बल्कि मुनाफे के भूखे मालिकों को मजदूरों को मारने की खुली छूट देने जैसा है.

दिल्ली में औद्योगिक दुर्घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन

दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में हो रही दुर्घटनाओं को रोकने की मांग करते हुए 16 जुलाई को ऐक्टू समेत अन्य श्रम संगठनों ने दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय के निवास के सामने प्रदर्शन किया. 

बवाना हादसा - ऐक्टू जांच टीम की रिपोर्ट 17 नहीं 40 मजदूरों की मरने की है आशंका

जनवरी 22, 2018 को ऐक्टू की टीम ने बवाना औद्योगिक क्षेत्र के एफ-83 स्थित फैक्ट्री का दौरा किया और कई मजदूरों के परिवारवालों से मुलाकात की. टीम में शामिल साथी थे: अभिषेक, श्वेता, वीकेएस गौतम, सतबीर श्रमिक, अजय कुमार और प्रेमपाल चैटेला. फैक्ट्री के पास काम करनेवाले मजदूरों से बात करने पर कई सारी बातें सामने आयीं:

खोखा-पटरी के दुकानदारों को उजाड़ना बंद करो दिल्‍ली के सभी स्‍ट्रीट वेण्‍डरों को लाइसेंस दो

खोखा-पटरी के दुकानदारों को उजाड़ना बंद करो!  दिल्‍ली के सभी स्‍ट्रीट वेण्‍डरों को लाइसेंस दो!!

दिल्‍ली में आज-कल खोखा-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों को उजाड़ने का काम तेजी से चल रहा है । रोजगार कर अपनी आजीविका चलाना हमारा संवैधानिक अधिकार है । हम अपने अधिकारों और रोजी-रोटी पर हमला नहीं सहेंगे । हमारी मांग है कि सरकार खोखा-रेहड़ी-पटरी के छोटे कारोबारियों और छोटे दुकानदारों को उजाड़ना तत्‍काल बंद करे ।  

DTC: Delhi Transport in Crisis

Ardhendu Roy

The Delhi Transport Corporation (DTC) bus service is Delhi’s lifeline – to combat life-threatening pollution, to ensure safe and reliable public transport for women, and as the go-to transport solution for those surviving on a meagre salary in a city like Delhi. But instead of getting stronger, this lifeline is fast shrinking, thanks to being starved of support by successive governments at the State and Centre.