मसौदा सामाजिक सुरक्षा पर श्रम कोड, 2018

स सामाजिक सुरक्षा पर श्रम कोड (मसौदा) 17 कानूनों को रद्द करना चाहता हैः (1) कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (2) कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (3) कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 (4) व्यक्तिगत चोट (आपातकालीन प्रावधान) अधिनियम (पर्सनल इन्जुरीज-प्रोविजन्स् ऐक्ट), 1962 (5) व्यक्तिगत चोट (मुआवजा बीमा) अधिनियम (पर्सनल इन्जुरीज-बीमा ऐक्ट), 1963 (6) प्रसूति लाभ अधिनियम, 1961 (7) ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 (8) असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 (9) माइका खान श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1946 (10) चूना पत्थर एवं डोलोमाइट खान श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1972 (11) लौह अयस्क, मैंगनीज और क्रोम अयस्क खान श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1976 (12) बीड़ी श्रमिक कल्याण निधि अधिनियम, 1976 (13) सिने श्रमिक कल्याण निधि अधिनियम, 1981 (14) लौह, मैंगनीज और क्रोम अयस्क खान श्रमिक कल्याण (सेस) अधिनियम, 1976 (15) सिने श्रमिक कल्याण (सेस) अधिनियम, 1981 (16) बीड़ी श्रमिक कल्याण सेस अधिनियम, 1976 और (17) भवन और अन्य श्रमिक कल्याण सेस अधिनियम, 1996.

स पहला सवाल यह उठता है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और विभिन्न कल्याण बोर्डों सहित पूरी तरह से कार्यात्मक प्रणाली को क्यों पूरी तरह से नष्ट किया जा रहा है, बिना किसी कारण के. वास्तव में भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड जिसे सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के साथ ही कार्यात्मक बनाया गया और उसने केवल अब काम करना शुरू किया है, को भी विखंडित किया जा रहा है.

स दूसरा, कोड सरकार को प्रतिष्ठान के संबंध में सीमा तय करने की अनुमति देता है, जिस पर कोड लागू होगा, यानी आय और वेतन सीमा, और सरकार को किसी भी प्रतिष्ठान को कोड के दायरे से मुक्त करने की अनुमति भी देता है. यह स्पष्ट रूप से इस उद्देश्य को बचकाना बनाता है कि कोड सार्वभौमिक है. साथ ही, कोड केंद्र सरकार को किसी भी नियोक्ता या नियोक्ता के वर्ग को सेस की लेवी से मुक्त करने की अनुमति देती है, जिससे गंभीर प्रश्न सामने आते हैं कि यह कैसे काम करेगा. प्रवर्तन एजेंसी की प्रवर्तन और कार्यप्रणाली की विधि भी अस्पष्ट है. इसके अलावा निरीक्षण योजना जो सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जा रही है वो निरीक्षकों की शक्ति को कम कर रही है. तब प्रवर्तन के संबंध में संदेह और ज्यादा बढ़ जाता है.