संसद के समक्ष मजदूर वर्ग की जोरदार एकताबद्ध दावेदारी मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ 3 दिनों का महापड़ाव

संसद के समक्ष मजदूर वर्ग की जोरदार एकताबद्ध दावेदारी मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ 3 दिनों का महापड़ाव

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टरवार फेडरेशनों के संयुक्त मंच के 8 अगस्त को दिल्ली में आयोजित मजदूर सम्मेलन के आहृान पर हजारों-हजार मजदूरों ने संसद मार्ग को तीन दिनों तक लाल झंडों के समुद्र में बदल दिया. 3 दिनों के महापड़ाव के रूप में मजदूरों की राष्ट्रीय राजधानी में 9-11 नवंबर 2017 को यह जोशीली दावेदारी मोदी सरकार की मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और सांप्रदायिक व बांटने वाली नीतियों के खिलाफ थी.

हजारों-हजार मजदूरों ने इस महापड़ाव में देश के हर कोने से और अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर - संगठित और सार्वजनिक क्षेत्र से लेकर असंगठित क्षेत्र तक - से भागीदारी की. इसमें सबसे उल्लेखनीय था महिला श्रमिकों खासकर स्कीम कर्मियों (आशा, आंगनबाड़ी और मिड-डे मील) और साथ ही निर्माण, ठेका समेत अन्य असंगठित मजदूरों की जोश से भरी विशाल भागीदारी. ऐक्टू के बैनर तले, मजदूरों की प्रभावशाली व उत्साहवर्धक भागीदारी रही खासकर स्कीम और निर्माण मजदूरों की. महापड़ाव में पहुंचने के लिये मजदूरों को कठिनाइयों से भरी यात्रा करनी पड़ी - खासकर दिल्ली और आसपास के राज्यों में धुंध के चलते - लेकिन मजदूरों के उत्साह में कहीं कोई कमी नहीं आई.

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों में शामिल थे - ऐक्टू, इंटक, एटक, एच.एम.एस., सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी, टी.यू.सी.सी., सेवा, यू.टी.यू.सी एवं एल.पी.एफ. और साथ ही मजदूरों और कर्मचारियों के स्वतंत्र फेडरेशन जैसे प्रतिरक्षा, बैंक, रेलवे, बीमा, केंद्रीय सरकारी कर्मचारी आदि. मजदूरों ने महापड़ाव के जरिए अपने 12-सूत्रीय मांगपत्र को बुलंद किया, जिसमें निम्नलिखित मांगें शामिल हैंः

  • महंगाई पर रोक लगाओ, राशन प्रणाली को सर्वव्यापी बनाओ
  • बेरोजगारी खत्म करों, सभी को बेहतर नौकरी दो
  • श्रम कानून लागू करो
  • सभी को सामाजिक सुरक्षा लाभ दो
  • सभी को कम से कम 18000रू. प्रति माह न्यूनतम दो
  • सभी को 3000रू. प्रतिमाह पेंशन दो
  • सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों का निजीकरण बंद करो
  • ठेकेदारी प्रथा बंद हो और ठेका मजदूरों को समान काम के लिये समान वेतन व अन्य सुविधाएं दो, स्कीम कर्मियों को श्रमिक की मान्यता दो
  • बोनस, ईएसआइ और पीएफ के भुगतान और पात्रता पर लगी सभी सीमाबंदियों का हटाओ तथा ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाओ
  • श्रम कानूनों में मजदूर-विरोधी संशोधन करना बंद करो
  • ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 45 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से हो; आईएलओ कन्वेंशन 87 व 98 का तत्काल अनुमोदन करो
  • रेलवे, बीमा और डिफेंस में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) बंद करो

महापड़ाव ने आने वाले समय में अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाने सहित एकताबद्ध संघर्षों के अगले उच्च चरण में जाने की तैयारियों को तेज करने का संकल्प लिया. इस दिशा की ओर बढ़ने के लिये, महापड़ाव ने काई फैसले पारित किए, जैसे - जनवरी 2018 के पहले सप्ताह तक जिला स्तरीय संयुक्त कन्वेंशन आयोजित करना; जनवरी के अंतिम सप्ताह में जिला स्तरीय ‘सत्याग्रह’ आयोजित करना; केंद्रीय बजट पेश होने वाले दिन विरोध प्रदर्शन आयोजित करना; और जनवरी माह में स्कीम कर्मियों की देशव्यापी एक-दिवसीय हड़ताल का आयोजन सहित जिला स्तरीय जुझारू प्रदर्शन आयोजित करना. महापड़ाव ने किसानों और मेहनतकशों के विभिन्न हिस्सों के जारी आंदोलनों के साथ एकजुटता जाहिर की.

सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ करोड़ों मजदूरों की सक्रिय भागीदारी के साथ की गई कई राष्ट्रव्यापी संयुक्त हड़ताली कार्रवाइयों, जिनमें 2 सितम्बर ’15 और 2 सितम्बर ’16 की हड़तालें प्रमुख हैं, के बावजूद केन्द्रीय सरकार देश की कामगार जनता की 12-सूत्रीय मांगों को लगातार अक्खड़पन से अनदेखा कर रही है और उनके अधिकारों और आजीविका पर हमले बढ़ाती जा रही है.

विभिन्न सेक्टरों के सवालों और साथ ही मजदूर वर्ग पर जारी हमले के सवाल को समुचित रूप से उठाने के मकसद से महापड़ाव के पहला दिन संगठित व सार्वजनिक क्षेत्र पर केंद्रित किया गया, दूसरा दिन असंगठित और तीसरा दिन स्कीम कर्मियों समेत समूची महिला श्रमशक्ति पर केंद्रित किया गया. 3 दिनों के महापड़ाव के हर दिन को 3 सत्रों में बांटा गया था और बीच-बीच में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. ऐक्टू की ओर से इन सत्रों में वक्ता और अध्यक्षमंडल के सदस्य निम्नलिखित थेः पहले दिन यानी 9 नवंबर को पहले, दूसरे और तीसरे सत्रों में वक्ता क्रमशः इस प्रकार थे- राजीव डिमरी, ऐक्टू के राष्ट्रीय महासचिव; रवि सेन, ऑल इंडिया सेंटर ऑफ रेलवे वर्कर्स के महासचिव एवं ऐक्टू के केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य; और महेन्द्र परिदा, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव. अध्यक्षमंडल मे मौजूद नेतागण थे- संतोष राय, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव; श्यामलाल साहू, सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स, भिलाई स्टील प्लांट के महासचिव; और श्यामलाल प्रसाद, ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष.

दूसरे दिन यानी 10 नवंबर को पहले, दूसरे और तीसरे सत्रों में वक्ता क्रमशः इस प्रकार थे- रामबली प्रसाद, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव; एसके शर्मा, ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव एवं ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष; और उदय भट, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव. अध्यक्षमंडल मे मौजूद नेतागण थे- संतोष राय, महेन्द्र परिदा और भीमराव बागड़े, ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष.

तीसरे दिन यानी 11 नवंबर को पहले, दूसरे और तीसरे सत्रों में वक्ता क्रमशः इस प्रकार थे- शशी यादव, ऑल इंडिया आशा एसोसियशन की राष्ट्रीय संयोजिका एवं ऐक्टू की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष; सरोज चौबे, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की अध्यक्ष एवं ऐक्टू की राष्ट्रीय पार्षद; और संतोष राय. अध्यक्षमंडल मे मौजूद नेतागण थे- उमा नेताम, छत्तीसगढ़ से आंगनबाड़ी नेता; कमला कुंजवाल, उत्तराखंड से आशा कर्मी नेता; और सुभाष सेन, ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव. इस दिन, बिहार के पूर्वी चंपारण की तीन मिड-डे मील कर्मियों ने खुद से बनाया एक गीत गाया जिसमें उन्होंने दमनकारी सरकारों के खिलाफ मजदूरों का संगठित होने का आहृान किया (देखें बाक्स). तीसरे दिन के अंतिम सत्र के समापन पर, जेएनयू से आइसा कार्यकर्ता ब्रजेंद्र यादव ने मोदी सरकार और संघ परिवार की खिल्ली उड़ाते हुये कविता का पाठ किया.

महापड़ाव के समर्थन में, कई ट्रेड यूनियन संगठनों जैसे, एनटीयूआई, इफ्टू और दिल्ली की मजदूर एकता कमेटी ने कार्यक्रम में मजदूरों की गोलबंदी की. विदेश से भी, डब्लूएफटीयू और आईटीयूसी जैसे अंतरराष्ट्रीय फेडरेशनों समेत कई ट्रेड यूनियन संगठनों ने महापड़ाव के समर्थन में संदेश भेजे.

यह महापड़ाव मजदूर वर्ग के बीच बढ़ते गुस्से और प्रतिरोध को तेज करने के प्रति उसके अडिग संकल्प का आईना था.

’पूर्वी चम्पारन से मजदूरों के ऐतिहासिक महापड़ाव में दिल्ली पहुंची मिड-डे मील (रसोईया) कर्मचारियों - कुमान्ती देवी, शाहिदा खातून और साहाना खातून - ने देश भर से आये हजारों मजदूरों के लिए खुद का लिखा गीत पेश किया’

11 नवम्बर 2017

फूटी गइले ललका किरनिया हो

काहे सुतला तान के चदरिया हो

दीदी खोला तू नजरिया

फूटी गइले ललका किरनिया हो

अब का सूतेला भईया

तान के चदरिया

फूटी गईले ललका किरनिया हो

मोदी सरकारवा करेला मनमनिया हो

हमनी पर करेला जुलुमवा हो

हमनी पर करेला शोषनवा हो

खोला तू नजरिया हो दीदी

शहरवा में घूमा दीदी

बााजारवा में घूमा दीदी

घूमी घूमी बनाव तू संगठनवा हो

खोला तू नजरिया हो दीदी

खोला तू नजरिया हो दीदी

माथवा में बांधा दीदी ललका निसनिया

घूमी घूमी बनाव तू संगठनिया

खोला तू नजरिया हो दीदी

तोड़ी दे मोदी के गुमनवा हो दीदी

खोला तू नजरिया हो दीदी

मोदी सरकारवा करे मनमनिया

हमनी पर करेला शोषनवा

खोला तू नजरिया दीदी, खोला तू नजरिया दीदी