संपादकीय

साम्प्रदायिक भीड़-हत्याएं मोदी राज की पहचान

‘गौ-हत्या’ की अफवाह पर उत्तर प्रदेश और झारखंड में साम्प्रदायिक हत्या-गिरोहों द्वारा हाल ही में की गई मुस्लिम पुरुषों की हत्याएं, आजकल जो इस किस्म की हत्याओं की बाढ़ सी आ गई है, उसकी ताजातरीन घटनाएं हैं. साम्प्रदायिक भीड़ हत्याओं की यह बाढ़ मोदी शासन की सबसे बढ़कर स्पष्ट दिखने वाली पहचान बन गई है.

मोदी सरकार का पांचवा साल इस विनाशलीला का अंतिम वर्ष साबित हो

मोदी सरकार ने अपने शासनकाल के चार वर्ष पूरे कर लिये हैं. क्या अतीत में कोई ऐसा समानान्तर वाकया रहा है, जो हमें मोदी शासन के इन चार वर्षों का आकलन करने में मददगार हो? खुद नरेन्द्र मोदी के लिये तो स्थायी संदर्भ बिंदु नेहरु ही रहे हैं. अपने आपको नेहरु के समकक्ष रखना उन्हें प्रिय है और उन्हें यकीन है कि अगर नेहरू के स्थान पर सरदार पटेल प्रधानमंत्री बने होते तो किस तरह का शासन होता, इसी का स्वाद वे हमें चखा रहे हैं.

मार्क्स की द्विशतवार्षिकी मानव मुक्ति का लांग मार्च जारी है

‘‘दार्शनिकों ने अब तक केवल विश्व की विभिन्न तरीकों से व्याख्या की है; मगर मसला यह है कि इसे कैसे बदलना है’’: कार्ल मार्क्स (5 मई 1818 - 14 मार्च 1883) अपने जीवन के काफी शुरुआती दिनों में, जब वे केवल 27 साल के थे, इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके थे. अपने जीवन की आखिरी सांस तक वे अनवरत इसी लक्ष्य की प्राप्ति के काम में लगे रहे, और इसके दौरान उन्होंने उस दुनिया को

चौकीदार भांजता रहा, एक और चोर भाग निकला

लगता है कि हम एक नये किस्म का ‘भारत छोड़ो’ देख रहे हैं. ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी भारतीय बैंकों को भारी रकम का चूना लगाकर चुपचाप देश छोड़कर कट ले रहे हैं. ताजातरीन घटना में पंजाब नेशनल बैंक, जो देश में भारतीय स्टेट बैंक के बाद सबसे बड़ा बैंक है, के साथ जालसाजी करके नीरव मोदी और उनके चाचा मेहुल चोकसी ने 11,394 करोड़ रुपये की भारी रकम का चूना लगा दिया है.

गणतंत्र दिवस 2018 का संकल्प

26 जनवरी 2018, सन् 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री पद पर बैठने के बाद से चैथा गणतंत्र दिवस है. इस मोदी शासनकाल के दौरान आये हर गणतंत्र दिवस ने हमको अपने धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र की संवैधानिक आधारशिला पर बढ़ते फासीवादी हमले के बारे में तीव्रता से अवगत कराया है. जब यह शासन अपनी अवधि के अंतिम चरण में पहुंच रहा है, तब संविधान पर, उसकी संरचना और कार्य-पद्धति, दोनों लिहाज से हमले केवल तीखे होते जा रहे हैं.

वर्ष 2018 को फासीवाद के खिलाफ जन एकता और प्रतिरोध का वर्ष बना दो!

वर्ष 2017 को मुसलमानों एवं ईसाई अल्पसंख्यकों पर, दलितों और मोदी शासन के आलोचकों पर, और भारत के संविधान तथा राज्य-प्रणाली के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक चरित्र पर हुए कई बदतरीन हमलों के लिये याद किया जायेगा.

नवम्बर क्रांति की प्रेरणादायक विरासत

सौ साल पहले दुनिया में एक अलग किस्म का भूचाल आया था. रूस में हुए एक अभूतपूर्व उभार ने समूची धरती को हिलाकर रख दिया था. यह एक ऐसी क्रांति थी जिसमें दुनिया के इतिहास में पहली बार राजसत्ता धनाढ्यों और कुलीनों के एक छोटे से गुट के हाथों से निकलकर दबे-कुचले और मेहनतकश जनसमुदाय के हाथों चली आई थी. यह कोई सामरिक तख्तपलट अथवा षड्यंत्रमूलक प्रहार नहीं था बल्कि इसमें एक निरंकुश शासन के अवशेषों को संगठित जन-शक्ति की लहरों ने बहाकर साफ कर दिया था.

नोटबंदी ने न सिर्फ गरीबों का बल्कि समूची अर्थव्यवस्था का नुकसान किया है

हाल के दिनों में तीन ऐसी स्वीकारोक्तियां आईं जिनसे नोटबंदी की विफलता और इससे होने वाले भारी नुकसान के बारे में ईमानदार अर्थशास्त्रिों द्वारा पहले से किये गये विश्लेषणों, या कहिये चेतावनियों की एक बार फिर जबर्दस्त पुष्टि हुई है.