रिपोर्ट

क्रोनीवाद और भ्रष्टाचार: मोदी मार्का शासन के प्रतीक चिन्ह

मोदी सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा गठित ‘शक्ति-प्रदत्त विशेषज्ञ समिति (ईईसी) की ओर से अभी तक अस्तित्व-हीन जियो इंस्टीट्यूट ऑफ रिलायंस फाउंडेशन को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (उत्कृष्ट संस्थान - आइओई) का तमगा प्रदान करने का फैसला खुल्लमखुल्ला क्रोनीवाद (पिट्ठू या भाई-भतीजावाद) को रेखांकित करता है जो मोदी मार्का शासन का खास प्रतीक है.

भाजपा कैसे हिंसक भीड़ की सहायता और स्वागत करती है

भारत औपनिवेशिक अवधि में अनेकानेक दंगों और जनसंहारों का गवाह रहा है और इसने उपनिवेशोत्तर काल में भी ढेरों जन-हत्याओं और राज्य के सशस्त्र बलों के द्वारा गैर-न्यायिक एनकाउंटरों को भी देखा है; लेकिन ‘लिंचिंग’ के नाम से जिस किस्म की प्रायोजित भीड़ हिंसा चल रही है, वह तो मोदी राज का एक अनूठा प्रतीक-चिन्ह बन गई है. 30 मई 2015 को राजस्थान के नागौर में अब्दुल गफ्फार कुरैशी की हत्या की पहली घटना के बाद से लिंचिंग पीड़ितों की संख्या 120 को भी पार कर गई है. यह लिंच मॉब परिघटना ‘न्यू इंडिया’ के लिए मोदी शासन का सबसे बड़ा योगदान है.

सामाजिक सुरक्षा कोड पर सरकार द्वारा बुलाई गई बैठकों का केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बहिष्कार किया

ऐक्टू समेत दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (बीएमएस छोड़कर) ने सामाजिक सुरक्षा कोड पर सरकार द्वारा बुलाई गई जोनल स्तर की बैठकों का संयुक्त रूप से बहिष्कार किया. सामाजिक सुरक्षा कोड पर मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठकों का यह तीसरा दौर है जिसके तहत इसी माह यानी जुलाई में दो जोनों - उत्तरी और पूर्वी - की बैठकें रखी गईं. 27 जुलाई को भुवनेश्वर स्थित मेफेयर होटल जहां पूर्वी जोन की बैठक रखी गई थी, के समक्ष केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन कर बैठक का बहिष्कार किया.

नियमितीकरण हेतु उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट बिहार के 8 लाख कर्मियों के साथ ठगी और धोखाधड़ी है

बिहार के सभी अनुबन्ध-मानदेय, प्रोत्साहन राशि व आउटसोर्स कर्मियों के नियमितीकरण हेतु श्री अशोक चौधरी की अध्यक्षता वाली गठित उच्चस्तरीय समिति द्वारा सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत 8 लाख में से मात्र 3 लाख कर्मियों को ही बिना समान वेतन सम्बन्धी अनुशंसा के नियमितीकरण की रिपोर्ट तैयार कर लेने व शीघ्र ही सरकार को यह रिपोर्ट सौंपने सम्बन्धी अखबारों में प्रकाशित खबर पर ‘बिहार राज्य अनुबन्ध-मानदेय नियोजित सेवाकर्मी संयुक्त मोर्चा’ ने 3 जून ’18 को जारी विज्ञप्ति में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर अपनी ही सैद्धांतिक सहमति से पीछे हटने का आरोप लगाया.

मोदी राज के चार वर्ष

किसानों के साथ गद्दारी, भ्रष्टाचार (कॉरपोरेट भी और राजनीतिक भी), ‘स्किल इंडिया’, ‘स्टार्ट-अप इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ या ‘न्यू इंडिया’ नहीं - ‘बेरोजगार भारत’, शिक्षा क्षेत्र पर हमला, महिलाओं की स्वायत्तता, सुरक्षा और अधिकारों पर बदतरीन हमला, बलात्कारियों और हिंसा-अपराधियों की खुली हिमायत, महिलाओं की आजादी पर हमला, पेट्रोल और डीजल की अब तक की अधिकतम कीमतें, नफरत भरे भाषण और प्रेस की आजादी पर हमला, दलितों और महिलाओं के खिलाफ रोजाना हिंसा

दिल्ली आशा कामगार यूनियन ने विधयकों को ज्ञापन सौंपे

ऐक्टू से संबद्ध ‘‘दिल्ली आशा कामगार यूनियन’’ आशा कर्मियों के अधिकारों को लेकर निरंतर संघर्षरत है. अपने संघर्ष के मौजूदा चरण में यूनियन दिल्ली विधान सभा के सभी विधायकों से मिलकर उन्हें आशा कर्मियों की मांगों को लेकर ज्ञापन दे रही है. ज्ञापन में मांग की गई है कि वे विधानसभा में इस प्रस्ताव को लेकर आयें कि आशा कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन दिया जाए, उनको सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और, चूंकि आशा कर्मियों के अधिकतर कार्य फील्ड संबंधी है, अतः उन्हें डीटीसी की बसों में बस पास की सुविधा दी जाए.

कामरेड दरशराम साहू का 28वां शहादत दिवस मनाया गया

कामरेड दरशराम साहू का 28वां शहादत दिवस 6 मई 2018 को लाल खदान, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में मनाया गया. कार्यक्रम की शुरूआत शहीद कामरेड की पत्नी सुशीला साहू द्वारा उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. तत्पश्चात दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई. इस अवसर पर कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती पर उन्हें याद किया गया. श्रद्धांजलि सभा को भाकपा-माले व ऐक्टू के नेताओं राज्य सचिव बृजेंद्र तिवारी, कोरबा से बी.एल. नेताम और रामजी शर्मा, ललन राम समेत सीपीआई के जिला सचिव पवन शर्मा व अन्य ने संबोधित किया.

एससी/एसटी (अत्याचार निरोधक) अधिनियम पर न्यायिक हमला और दलित प्रतिवादकारियों पर राजनीतिक हिंसा

दीर्घ काल से लम्बित पड़े संशोधनों को ग्रहण करने के बाद अंततः 2015 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम को शक्तिशाली बनाया गया था. ये संशोधन इस खामी को दुरुस्त करने के लिये थे कि एससी/एसटी ऐक्ट के तहत सजा दिये जाने की दर काफी नीची रह जा रही थी.

फासीवाद हराओ! जनता का भारत बनाओ!

भाकपा-माले का दसवां महाधिवेशन  

भाकपा (माले)-लिबरेशन के 10वें महाधिवेशन की शुरूआत के मौके पर 23 मार्च 2018 को शहीद-ए- आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस के अवसर पर पंजाब के बाबा बुझा सिंह नगर (मानसा) के बाबा जीवन सिंह पार्क में शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की प्रतिमाओं का अनावरण किया गया और देश-विदेश से आये वामपंथी व प्रगतिशील पार्टियों के अतिथियों समेत भाकपा-माले के हजारों कार्यकर्ताओं ने एक बड़ी जनसभा की. पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह, नाट्यकार सैमुअल जॉन, प्रो. बावा सिंह, प्रो.

मोदी शासन: 1 प्रतिशत के लिए ‘अच्छे दिन’, 99 प्रतिशत के लिए ‘बदतरीन दिन’

मोदी अच्छे दिन का वादा करते हुए सत्ता में आए थे. लेकिन उनके चार वर्षोंं के शासन में भारत के सबसे धनी 1 प्रतिशत के लिए ही ‘अच्छे दिन’ आये हैं जिनकी देश की कुल संपदा में हिस्सेदारी 2014 में 49 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 73 प्रतिशत हो गई (ग्लोबल इनइक्वलिटी सर्वे, ऑक्सफैम). मोदी राज में सबसे धनी लोगों और देश के गरीबों के बीच की खाई काफी बढ़ गई है.